साहित्यकार ठा.राजभॅंवरसिंह सैंधव को हिंदी का सर्वोच्च विद्या वाचस्पति (मानद डॉक्टरेट) सम्मान
देवास। विगत कई वर्षों से हिंदी गद्य, पद्य एवं भाषा के प्रचार-प्रसार के साथ ही हिन्दी की अनेक विधाओ में लेखन कार्य करने वाले देवास जिले की टोंकखुर्द तहसील के छोटे-से गॉंव जमोड़ी के निवासी शिक्षक अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के जिला अध्यक्ष को विक्रम शिला हिन्दी विद्यापीठ की केन्द्रीय और सहायक शाखा महाराष्ट्र द्वारा 15 अगस्त 2024 को देश की राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्र संस्कृति व समाज हित समर्पित संस्थान परिवर्तन योगेश द्वारा आयोजित आजादी उत्सव एवं सम्मान समारोह अंतर्गत हिन्दी का सर्वोच्च सम्मान विद्या वाचस्पति देकर सम्मानित किया गया । ज्ञात हो कि यह यह सम्मान डी-लिट और पी-एचडी के समतुल्य है, जो किसी भी व्यक्ति को हिंदी भाषा या शिक्षा जगत में अपना अमूल्य योगदान देने वाले वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविदों को मानद उपाधि स्वरूप प्रदान किया जाता है । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम शिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर के कुलपति डॉ संभाजी राजाराम बाविस्कर ने की , मुख्य अतिथि सद्गुरु श्री उदयनाथ जी महाराज और विशेष अतिथि स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज थे। ज्ञात हो कि श्री सैंधव ने 2008 में एक 10 करोड़ वर्ष का केलेंडर पोस्ट कार्ड साईज पर बनाया है और जनवरी 2024 को विश्व के सबसे बड़े वर्चुअल कवि सम्मेलन में भाग लेकर कुल 2 विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं । सैंधव ने 3000 चित्र, 3 उपन्यास, 52 कहानियॉं, 11 लघुकथाघ्ं, एक महाकाव्य और कई शोधकार्यों के साथ ही अनेक प्रकार के छंदयुक्त और छंदमुक्त गीत, भजन और कविताओं का लेखन किया है । सैंधव का कहानी संग्रह श्बादल के ऑंसूश् 2014 में प्रकाशित हुआ था । अपने जीवन काल में उन्होंने सैंधव-संग्राम और सैंधव-प्रभात पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी की वर्षों तक किया है । 2022 में धार में आयोजित विश्व मालवा मंच अंतर्गत नर्मदा साहित्य मंथन कार्यक्रम में उनकी लघुकथा श्धर्मांतरणश् को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया गया है। विगत 30 वर्षों से शिक्षा विभाग में सेवा देते हुए हिंदी कवि सम्मेलनों, संगोष्ठियों और कार्यक्रमों के माध्यम से छोटे-छोटे गॉंवों से लेकर कस्बों और बड़े शहरों में हिंदी साहित्य को सरलता और सहजता से पहुॅंचाने का कार्य करते आ रहे हैं । सैंधव को गर्व है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रसिद्ध 16 व्यक्तियों को ही विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा यह मानद सम्मान दिया गया है जिसमें एक नाम उनका स्वयं का भी है । राजभॅंवरसिंह सैंधव को यह सम्मान प्राप्त होने पर क्षेत्र के कवि, लेखक, शिक्षक, साहित्यकारों और सामाजिक बंधुओं में बहुत ही हर्ष व्याप्त है।