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प्राचीन काल से विराजमान है श्री गणेश, महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

मध्यप्रदेश में भगवान गणेश के ऐसे मंदिर विराजमान हैं जिनका इतिहास काफी पुराना है। साथ ही मंदिरों का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। प्रदेश में ऐसा ही एक मंदिर देवास जिले के नागदा में स्थित है, जहां भगवान सिद्धिविनायक गणेश का यह मंदिर भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है। इतना ही नहीं इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, जहां इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से बताया जाता है।

वहीं देवास के करीब स्थित ग्राम नागदा में श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में भी भक्त जन अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुँच रहे हैं। श्री सिद्धि विनायक भगवान गणेश का यह मंदिर बेहद प्राचीन है, और यहां कि मान्यता है कि, यह मंदिर पांडव और राजा परीक्षित कालीन मंदिर है।

कुंड में स्नान से नहीं होता कोई रोग

गणेश मंदिर में विराजित भगवान सिद्धिविनायक की प्रतिमा बेहद प्राचीन है। मंदिर के सामने ही एक कुंड है। इसमें सालभर पानी भरा रहता है। फिलहाल बारिश के कारण यह लबालब हो गया है। भीषण गर्मी में भी कुंड नहीं सूखता। ग्रामीण इसे भगवान गणेश का चमत्कार मानते हैं। मंदिर के पुजारी की माने तो कुंड के पानी से स्नान कर भगवान गणेश के दर्शन करने से कुष्ठ और सफेद दाग के रोग दूर होते हैं। भक्तों के अनुसार इस अतिप्राचीन मंदिर में जो भी अपनी मनोकामना मांगते हैं, वह अवश्य पूर्ण होती है।

प्राचीन गणेश मंदिर की कई मान्यताएं हैं

इतिहासकारों की माने तो मंदिर में विराजमान यह प्रतिमा करीब 1100 साल पुरानी है। नागदा शहर काफी प्राचीन है। यही कारण है की, इस नगर को पहले राजाओं का नगर माना जाता था। यहां कई राजा रहे हैं। इस क्षेत्र में कई साधु संतों ने विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की हैं। प्राचीन गणेश मंदिर की कई मान्यताएं हैं। यहां पूरे साल गणेश जी के दर्शन के लिये भक्त व श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं। वहीं गणेश उत्सव के महापर्व मौके पर मंदिर में भक्तों का तांता लगता दिख रहा है, वहीं मंदिर में अलग-अलग तरह के धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं।

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