न खिलते फूल दिखते न हीं खिल खिलाते बच्चे वीरान हो रहे शहर के बगीचे
देवास। राष्ट्र का भावी भविष्य इन दिनों मोबाइल में आंखे गाढ़े घर की चार दीवारों में कैद दिखाई देता है । उसे न तो प्रकृति के वातावरण में विकसित होकर उसके मानसिक एवं शारीरिक कौशलता में अभिवृद्धि करने की जगह दिखाई दे रही है नहीं शहर के मध्य ऐसे बगीचे है जहां सुबह शाम बच्चे खिले सुंदर उद्यानों में हरि हरि मुलायम घासों पर दौड़ते कूदते मस्ती करते लौट लगाते खेल सके नहीं उन्हें खिले हुए रंग बिरंगे सुंदर फूलों पर मंडराती सुंदर तितली रानी दिखाई देती है नहीं भंवरों की गुंजन का स्वर सुनाई देता है ।
2 साल से 6 साल तक के छोटे बच्चों के लिए जरूरी ऐसे बगीचे की व्यवस्था के लिए शहर के मध्य की कालोनियों में बगीचे तो बना कर नगर पालिक निगम ने इति श्री कर रखी किंतु उसके रखरखाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं की । धीरे धीरे ये बगीचे उजड़ते चले जा रहे है । शहर के बाहर अच्छे बने दो पार्क एक मीठा तालाब के किनारे जिसका उपयोग किन लोगों के लिए है ये हम सब जानते है ।
एक औद्योगिक पार्क है जिसमे शहर के बड़े ए बी रोड़ के वाहनों की प्रदूषित हवा खाते हुए लोग मॉर्निंग इवनिंग वॉक करते नजर आते है । खिलाड़ियों के लिए खेल मैदान है इस पार्क में सब कुछ अच्छा है मगर छोटे छोटे बच्चे को खेलने में वहां के रखवाले प्रतिबंध लगते है।
शहर में एक मात्र मल्हार स्मृति मंदिर में ऐसा बगीचा है जहां पर बच्चों की फिसल पट्टी और दो झूले लटका रखे है यहां हालात ये है कि बच्चों से अधिक बड़े व्यक्ति और बुजुर्गों अपना टाइम पास करने के लिए बैठे रहते है ।लोगों की मीटिंग होती रहती बच्चों को पैसे लेकर रेल में घुमाया जाता है किन्तु उनको रेल रेल खेलने की जगह नहीं मिलती । आखिर ये बच्चे की खेले और खिल खिलाए तो कहां ।एक व्यावसायिक झूला और घोड़े के ठेकेदारों की कमाई का साधन बन गया ये बगीचा ।
कालानी बाग का ये बगीचा जो भाजपा के जिला अध्यक्ष के घर के सामने होने के कारण कुछ सालों तक उसका रख रखाव ठीक ठाक रहा जहां मॉर्निंग वॉक और बच्चों के खेलने के किए एक मात्र उचित पार्क था । किंतु इस बरसात के बाद उसकी इतनी बत्तर हालात होगई है कि बच्चे खेल नहीं नहीं सकते पूरे बगीचे में गाजर एवं कांटे वाली बड़ी सुखी घास उग रही,बगीचे में चींटी नगरे हो गए , झूले टूटे पड़े है पेड़ पौधे पानी के लिए तरस रहे है फूलों के पौधे सूखे पड़े है।
बगीचे में लाइट के पोल के नीचे खुले बिजली के खुले तार है खतरे दार इस बगीचे में गंदगी भी पड़ी मिलती है ।कालोनी के दरोगें और सफाई कर्मी के बैठक बगीचे के आस पास ही रहती है। बगीचे का ये नजारा जिले के बड़े नेता और वार्ड के पार्षद की नजरों से छुपा नहीं है ।
वो काम कौन करे जिसमें कमीशन नहीं है।इस शहर में बाग है मगर बागवान नही है। विकास की बात है मगर उत्थान नहीं है।