चातुर्मास में जिस स्थान पर साधु संत अनुष्ठान करते है वो स्थान तीर्थ बन जाता है, संत श्री सुलभ सांतुनू जी महाराज
सदगुरु अपनी सिद्धि को गंगा की तरह बहा कर मनुष्य का कल्याण करते है ।राज परिवार ने महान संत श्री रावतपुरा सरकार को चातुर्मास में आमंत्रित कर केवल अपने परिवार का ही नही बल्कि समूचे देवास वासियों का कल्याण करने का संकल्प लिया है
संसार में जिस कथा को सर्व प्रथम भगवान शिव जी ने माता पार्वती को श्रवण करा कर संसार को परम पिता परमेश्वर प्रभु श्री राम को मनुष्य के ह्रदय में विराजित किया है । आनंद पैलेस में हो रहे चातुर्मास के अनुष्ठान में अध्यात्म ज्ञान गंगा का शुभारंभ कर चातुर्मास की सार्थकता को सिद्ध किया है ।
चातुर्मास में जिस स्थान पर संतो द्वारा अनुष्ठान होता है वो स्थान स्वत: ही तीर्थ बन जाता है । जो भी मनुष्य इस स्थान पर आकर अध्यात्म गंगा में स्नान करेगा समझो उसका चारो धाम तीर्थ हो गया यह आध्यात्मिक वक्तव्य आनंद पैलेस पर हो रहे चातुर्मास में नो दिवसीय राम कथा के शुभारंभ अवसर पर राम कथा के आध्यात्मिक प्रवक्ता संत श्री सुलभ सांतुनु जी महाराज ने व्यक्त करते हुए कहे ।
आपने कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि राम कथा जीवन की व्यथा मिटाती है। जिसने राम कथा का श्रवण कर अनुसरण कर लिया वो जीवन की श्रेष्ठता को प्राप्त करता है
राम चरित्र मानस में सात सोपान है । सोपान का अर्थ हे सीढ़िया है जिसके माध्यम से हम मंजिल पर पहुंचते है । राम कथा के ये सोपान इस लोक से उस लोक की यात्रा कराते है । रामायण के सभी सोपान मनुष्य जीवन का दर्शन है।
कथा श्रद्धा उत्पन्न करती है श्रद्धा धर्म को उत्पन्न करती है ।
जिस धर्म में श्रद्धा और विश्वास है उसमे में ही ईश्वर का वास है। राम कथा का वो ही अधिकारी है जिसमे अपार श्रद्धा हो
श्रद्धा श्रोता है और वक्ता विश्वास है ।श्रद्धा जीवन के भटकाव
को दूर कर देती है । विश्वासरूपम व्यास पीठ की पूजा विक्रम सिंह पवार ने की । कथा में बड़ी संख्या में राम भक्त महिला एवं पुरषों की उपस्तिथि थी ।